परवल सब्जी की एक कद्दूवर्गिया फसल है. यह बहुवर्षीय पौध है. जिसके नर तथा मादा फूल अलग -अलग पौधे पर आते है. इसकी खेती कर कृषक अधिक लाभ अर्जित कर सकते है. इसका का उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है. आमतौर पर परवल की खेती वर्ष भर की जाती है. ये बिहार, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश में सामान्य तौर पर उगाई जाती है और राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, असम और महाराष्ट में उगाई जाती है. परवल में विटामिन भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसकी मांग भी बाजार में अधिक है. ऐसे में आइए जानते है आधुनिक तरिके से परवल की खेती करने का तरीका –
परवल सब्जी की एक कद्दूवर्गिया फसल है. यह बहुवर्षीय पौध है. जिसके नर तथा मादा फूल अलग -अलग पौधे पर आते है. इसकी खेती कर कृषक अधिक लाभ अर्जित कर सकते है.
इसका का उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है. आमतौर पर परवल की खेती वर्ष भर की जाती है. ये बिहार, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश में सामान्य तौर पर उगाई जाती है और राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, असम और महाराष्ट में उगाई जाती है. परवल में विटामिन भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसकी मांग भी बाजार में अधिक है. ऐसे में आइए जानते है आधुनिक तरिके से परवल की खेती करने का तरीका –
परवल का पौध रोपण (Parwal Planting)
पौध रोपण के समय ध्यान रहे की मादा पौधे एवं नर पौधे का अनुपात 9:1 हो.
परवल के पौध रोपण की दूरी (Planting distance of Parwal seedlings)
कतार से कतार की दूरी 1 मीटर एवं पौधे से पौधे की दूरी 50 से.मी रखी जाए.
परवल की फसल के लिए खाद एवं उर्वरक (Manure and Fertilizer for Parwal Crop)
0.5 टन सड़ी गोबर की खाद या कम्पोस्ट 70 कि.ग्रा डाई अमोनियम फॉस्फेट तथा 32 कि.ग्रा. पोटाशियम सल्फेट प्रति एकड़ की दर से भूमि में मिला दें. तत्पश्चात 20 यूरिया रोपण के 20 -25 दिन के अंतराल पर दो बार टाप ड्रेसिंग करें एवं 32 कि.ग्रा पोटाशियम सल्फेट की टाप ड्रेसिंग रोपण के तीन माह बाद करें.
परवल की उन्नत तरीके से खेती करने का तरीका और फसल प्रबंधन
परवल सब्जी की एक कद्दूवर्गिया फसल है. यह बहुवर्षीय पौध है. जिसके नर तथा मादा फूल अलग -अलग पौधे पर आते है. इसकी खेती कर कृषक अधिक लाभ अर्जित कर…
परवल की फसल के लिए निराई – गुड़ाई (For Parwal crop, weeding)
फसल के सम्पूर्ण जीवन चक्र में प्रक्षेत्र खरपतवार रहित होना चाहिए फसल की प्रारम्भिक अवस्था में ही मिट्टी चढ़ाने का कार्य पूर्ण कर लेना चाहिए.
परवल की फसल के लिए सिंचाई (For Parwal crop Irrigation)
परवल की फसल में शरद ऋतु में 8 – 10 दिन एवं ग्रीष्म ऋतु में 4 – 5 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई आवश्यक है.
परवल की फसल के लिए सुरक्षा (Safety for Parwal Crop)
कीट नियंत्रण (Pest control)
(1) लाल कटू बीटल
इस कीट का प्रकोप फरवरी से अप्रैल के मध्य होता है. नियंत्रण हेतु कार्बोरिल 01 मि.ली./ पानी की दर से छिड़काव करें।
(2) ब्लिस्टर बीटल
यह कीट के नियंत्रण हेतु क्यूनाल फास या मैथाइल पैराथियान या फॉस्फरॉमिडान 1 मि.ली / ली. पानी की दर से छिड़काव करें.
रोग व्याधि नियंत्रण (Disease control)
1) पत्तियों का झुलसा (leaf burn)
1.5 ग्राम / ली. पानी की दर से कार्बेन्डाजिम का छिड़काव 10 दिन के अंतराल पर करें.
परवल की फसल के लिए तुड़ाई (Harvesting for Parwal crop)
पौधा रोपण के 3 -4 माह पश्चात तुड़ाई का कार्य प्रारंभ हो जाता है.
परवल की फसल के लिए उपज (Yield for Parwal crop)
परवल की औसत उपज 50 से 60 कु. प्रति एकड़ है.