भारत में औषधीय फसलों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, जिससे देश-विदेशों की जरूरतों को भी पूरा किया जाता है. इस बीच कई औषधीय फसलों ऐसी भी हैं, जिनसे जड़ी-बूटियों के अलावा पशु चारा और दूसरी चीजों की आपूर्ति भी हो जाती है. हम बात करें हैं अपराजिता के बारे में, जिसे तितली मटर भी कहते हैं.
बता दें कि तितली मटर एक औषधीय फसल होने के साथ-साथ दलहनी और चारा फसल भी है. जहां इसकी मटर फलियां दलहन की श्रेणी में शामिल है, तो वहीं इसके फूलों से विश्व प्रसिद्ध ब्लू टी यानी नीली चाय बनाई जाती है, जो डायबिटीज जैसी बीमारियों में रामबाण की तरह काम करती है. अपराजिता के पौधे के बाकी बचे अवशेष पशु चारे के रूप में काम आते हैं. यही कारण है कि इसकी खेती करके किसान तीन गुना उत्पादन और अच्छी आमदनी कमा सकते हैं.
इस तरह करें अपराजिता की खेती
अपराजिता यानी तितली मटर एक सदाबहार औषधीय फसल है, जो सर्दी, गर्मी या सूखे जैसी परिस्थितियों में बढिया उत्पादन देती है. मौसम की अनिश्चितताओं, जोखिमों और खारी जमीन में भी ये विकसित हो जाती है.
इसकी खेती के लिये उन्नत किस्मों के बीजों का चयन करना चाहिये, जिससे फसल में कीट-पतंगों और बीमारियों का जोखिम न रहे.
किसान चाहें तो अपराजिता की काजरी–466, काजरी- 752, काजरी- 1433 या आईएलसीटी–249,आईएलसीटी-278 के बीजों से खेती कर सकते हैं.
इसकी खेती के लिये करीब 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीजदर की जरूरत पड़ती है.
अपराजिता की सह-फसल खेती करने पर 10 से 15 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर काफी रहते हैं.
इसकी खेती से पहले बीजों का उपचार कर लेना चाहिये, इसके अलावा गर्मियों में उचित सिंचाई प्रबंधन करने की सलाह भी दी जाती है.
इसकी फसल से फलियों की तुड़ाई समय रहते कर लेनी चाहिये, वरना इसकी फलियां जमीन पर गिरने लगती है.
कटाई के बाद फसलों के बचे अवशेष को पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल करते हैं और इसके फूलों का प्रसंस्करण करके ब्लू टी जैसे कई प्रॉडक्ट बनाये जाते हैं.
अपराजिता यानी तितली मटर का उत्पादन
दलहन के लिहाज से अपराजिता यानी तितली मटर की खेती करने पर बरानी क्षेत्रों में 1 से 3 टन सूखा चारा और 100 से 150 किलो बीज प्रति हेक्टेयर का उत्पादन मिलता है. सिंचित इलाकों में इसकी खेती करना ज्यादा फायदेमंद होता है, जिसमें 8 से 10 टन सूखा चारा और 500 से 600 किलो बीजों की उपज मिल जाती है.
इन देशों में हो रही है अपराजिता की खेती
वैसे तो अपराजिता एक एशियाई और अफ्रीकी इलाकों में उगने वाला औषधीय फूल है, लेकिन अमेरिका , अफीका, आस्ट्रेलिया , चीन और भारत में भी इसकी खेती जाती है. भारत में कई किसान इसकी व्यावसायिक खेती और प्रसंस्करण का काम भी करते हैं