
भारत के किसान कैमिकल आधारित खेती की जगह गाय आधारित खेती पर जोर दे रहे हैं, जिसे प्राकृतिक खेती भी कहते हैं. प्राकृतिक खेती में फसलों की खेती पूरी तरह गाय से मिलने वाले उत्पादों और उससे बने खाद-उर्वरकों पर आधारित होती है. गौ आधारित इन्हीं खाद-उर्वरकों से बनता है पंचगव्य, जिससे मिट्टी में सूक्ष्म जीवों का विकास और पौधों के संरक्षण में काफी मदद मिलती है.इसकी मदद से पारपंरिक फसलों के साथ-साथ बागवानी फसलों से भी जैविक गुणों को बढ़ाकर कीट-रोगों की संभावना को कम कर सकते हैं. जैविक खेती और प्राकृतिक खेती की बढ़ती लोकप्रियता के बीच पंचगव्य बिना किसी लागत के बंपर उत्पादन लेने में मदद करता है.
पंचगव्य
रासायानिक उर्वरकों के मुकाबले पंचगव्य का पीएच मान सिर्फ 3.7 से 3.8 तक होता है. इसमें अलग से पोषक तत्व डाले बिना ही 1.28% नाइट्रोजन, 0.72% फास्फोरस, 2.23% पोटेशियम और 17.45% कार्बनिक कार्बन पदार्थ पाये जाते हैं. एक एकड़ खेत में कम से कम 20 लीटर गौ आधारिक उर्वरक यानी पंचगव्य बनाने की जरूरत होती है. इसे बनाने के लिये इन सभी चीजों की जरूरत पड़ती है.
सामग्री
मात्रा
गाय का गोबर और गौमूत्र का घोल
5 किलोग्राम
गौमूत्र
3 लीटर
गाय का दूध
2 लीटर
गाय का दही
2 लीटर
गाय का घी
1 किलो
पका हुआ पीला केला
1 दर्जन (12 फल)
नारियल का पानी
3 लीटर
गन्ने का रस
3 लीटर
सबसे पहले चौड़े मुंह वाला मिट्टी का बर्तन, कंक्रीट की टंकी या प्लास्टिक के कंटेनर साफ कर लें.
बर्तन में गाय का गोबर और गोमूत्र और घी की निर्धारित मात्रा को डालकर घोल बनायें और 3 से 4 दिन के लिये रख दें.
चार दिन बाद घोल को अच्छे से मिलायें और पांचवे दिन बचे हुये सारे सामान को (निर्धारित मात्रा में ) इस घोल में डालकर 20 से 30 मिनट तक चलाते रहें.
इस मिश्रण को 7 से 8 दिन तक दोबारा ढंक कर रख दें, ताकि एरोबिक माइक्रोबियल गतिविधि और मिश्रण का स्थिरिकरण हो जाये.
इसके बाद इस मिश्रण का स्प्रे बनाकर फसल में पौधों की जड़ों और पत्तियों पर छिड़क सकते हैं.
बता दें कि 1 लीटर पंचगव्य बनाने में मात्र 40 से 50 रुपये की लागत आती है. वहीं बाजार में इसे 150 से 400 रुपये तक बेचा जा सकता है.
इन फसलों में डालें पंचगव्य
पंचगव्य सभी पारंपरिक, बागवानी, औषधीय समेत दूसरी सभी फसलों के लिये लाभकारी साबित हो चुका है. इसका इस्तेमाल चावल, आम, अम्लीय चूना, अमरूद, केला, मोरिंगा (सहजन), हल्दी, चमेली, गन्ना और सब्जियों की फसलों के साथ-साथ दूसरी नकदी फसलों , फलों के बाग और जड़ी-बूटी वाली फसलों में भी कर सकते हैं.