
खेती-किसानी में बेहतर उत्पादन लेने के लिये फसलों की सुरक्षा करना किसानों के लिये बड़ी जिम्मेदारी है. इससे फसल को नष्ट करने वाले कीड़ों की रोकथाम में मदद मिलती है और पौध सरंक्षण के लिये कीट नियंत्रण काफी जरूरी है. रिपोर्ट्स की मानें तो भारत में सबसे ज्यादा रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल व्यावसायिक और कांट्रेक्ट फार्मिंग और बड़े स्तर पर खेती करने वाले किसान ही करते हैं, क्योंकि खेतों का आकार काफी बड़ा होता है, जिससे कीट नियंत्रण करने में भी काफी समय लग जाता है.जाहिर है कि रासायनिक कीटनाशक काफी मंहगे और हानिकारक होते हैं, इसलिये कृषि वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि किसानों या मजदूरों को रासायनिक कीटनाशकों के छिड़काव के समय सावधानियां बरतनी चाहिये, जिससे कीटनाशकों का बुरा असर उनकी सेहत पर न पड़े और संसाधनों की भी बर्बादी न हो.
इन बातों का रखें खास ख्याल
बाजार में कई प्रकार के कीटनाशक बेचे जा रहे हैं. ऐसे में किसानों को फसल और कीट के अनुसार ही दवाओं का प्रयोग करना चाहिये. इस स्थिति में हमेशा कृषि विशेषज्ञों से सलाह-मशवरा करके कीटनाशक खरीदें.
कीटनाशक दवायें खरीदते समय उसकी पैकिंग और वैधता का समय जांच-परख लें और खरीदने के बाद दुकानदार से पक्की रसीद यानी बिल भी बनवाये, जिससे हानि की संभावना में कवरेज मिल सके.
कीटनाशकों दवाओं को भंडारण बूढे, बच्चे, पशु, महिलायें, गर्भवती महिलाओं के आदि की पहुंच से दूर किसी कमरे में बंद ही रखना चाहिये.
कीटनाशक के इस्तेमाल के बाद दवा की बोतल या डब्बों को भी इस्तेमाल न करें, बल्कि तोड़कर कचरे या मिट्टी में दबा दें.
कीटनाशकों के छिड़काव से पहले उपकरणों में टूट-फूट या लीकेज की जांच कर लेनी चाहिये. भूलकर भी उपकरणों या कीटनाशकों को सीधा त्वचा के संपर्क में न आने दें.
कीटनाशक छिड़काव के समय सावधानी
फसलों पर कीटनशक दवाओं का छिड़काव करने से पहले किसान भाई अपने मुंह पर मास्क, हाथों में दस्ताने और पैरों में जूते अवश्य पहनें, जिससे स्प्रे की छीटें सीधा शरीर के संपर्क में ना आयें.
कीटनाशकों का छिड़काव भी हवा वाली दिशा में ही करना चाहिये, जिससे छिड़काव करने वाले के ऊपर स्प्रे की छीटें न पडें.
फसलों पर कीटनाशकों के छिड़काव के समय सुबह या शाम का समय ही उप.युक्त बताया जाता है, क्योंकि इस समय हवा का प्रवाह कम होता है.
फसलों से कम ऊंचाई पर नोजल रखकर स्प्रे करे, जिससे रसायन हवा में न फैले और कीट-रोग से गस्त पौधों पर जरूर स्प्रे करें.
इसके अलावा दिन के समय मधुमक्खियों की गतिविधियां फसलों पर बढ़ जाती है, जो फसलों के परागण में मदद करती है. इसलिये दिन में भूलकर कीटनाशक दवा का छिड़काव नहीं करना चाहिये.
कीटनाशक दवाओं के छिड़काव के बाद किसान या मजदूर को अपने हाथ-पैर साफ कर लेने चाहिये और नहा-धो लेना चाहिये, जिससे रासायनों का बुरा असर सेहत पर ना पड़े.
रासायनिक कीटनाशकों के छिड़काव वाले उपकरणों को भी 3 से 4 बार पानी से साफ धुलाई करना चाहिये, किसानों को भी अपने कपड़ों को भी बदलकर धोना चाहिये.
कीटनाशक के संपर्क में आने पर करें ये उपाय
अकसर कई बार ऐसा होता है कि छिड़काव करके समय कीटनाशक गलती से मुंह, आंख, या नाक में चला जाता है. ऐसी स्थिति में एक गिलास गुनगुने पानी में नमक मिलाकर गरारे और उल्टी करना चाहिये.
गलती से कीटनाशक सूंघने पर खुली हवा में जाकर घूमें और शरीर से कपड़ों को ढीला कर लें, जिससे घुटन न हो. तुरंत खुशबूदार तोड़कर सूंघने से भी आराम मिलेगा.
कीटनाशक के संपर्क में आने के बाद अगर सांस लेने में दिक्कत होने लगे तो पेट सहारे लेटकर बाहों को सामने की ओर फैला दें. रोगग्रस्त किसान की पीठ को हल्के से सहलायें और उसे सांस दिलाने में मदद करें.
रासायनिक कीटनाशकों के छिड़काव के बाद सेहत से जुड़ी कोई भी समस्या दिखने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिये, जिससे समय रहते समाधान किया जा सके.