भारत में किसानों की आमदनी को दोगुना करने और फसलों का उत्पादन बढ़ने के लिये मिश्रित खेती करने की सलाह दी जाती है. इसी प्रकार अब मछली पालकों का मुनाफा डबल करने के लिये मिश्रित मछली पालन की तकनीक ईजाद की गई है. बता दें कि मिश्रित मछली पालन करके किसान एक छोटे से तालाब में अलग-अलग मछलियां पालकर मोटा मुनाफा कमा सकते हैं.
मिश्रित मछली पालन तकनीक के तहत एक ही तालाब में अलग-अलग प्रजाति की मछलियां पाली जाती है. इस दौरान तालाब में ही मछलियों की प्रजाति के अनुसार अलग-अलग पार्टिशन बनाये जाते हैं और हर प्रजाति की मछली के लिये अलग-अलग ही चारे-दाने की व्यवस्था भी अलग-अलग ही की जाती है. इसके लिये सही तरह से तालाब का चयन और साफ पानी की निकासी का सिस्टम लगाया जाता है. इस तकनीक के जरिये कतला, रोहू, मृगल और विदेशी कार्प और कॉमन कार्प मछलियों को एक साथ पालन पर ज्यादा फायदा होता है.
बारिश के दौरान मिश्रित मछली पालन करना आसान होता है, क्योंकि पानी की व्यवस्था करने के लिये अलग से खर्च करना नहीं पड़ता, लेकिन तेज बारिश से मछलियों को बचाने के लिये प्रबंधन कार्य भी किये जाते है.
मिश्रित मछली पालन में पानी की निकासी का खास ध्यान रखना चाहिये, जिससे एक प्रजाति की मछलियां दूसरी प्रजाति के झुंड में न घुसें.
इसके लिये पार्टिशन के अनुसार पानी की निकासी की व्यवस्था ठीक प्रकार से करें.इस प्रकार मछली पालन करने के लिये क्षारीय पानी का इस्तेमाल करना चाहिये. ये मछलियों की बेहतर सेहत और उनके विकास में सहायक साबित होता है.
मिश्रित मछली पालन करने समय पानी का तापमान कंट्रोल करना भी जरूरी है, इसलिये पानी का पीएच 7.5 से 8 तक ही रखें.
मछलियों के संतुलित आहार में हाइड्रिला और वेलिसनेरिया के अलावा चावल की भूसी, सरसों की खल और बरसीम और मछली चूरा जरूर जोड़ें.
मिश्रित मछली पालन के लिये तालाब के पानी में पोषण की मात्रा बढ़ाने के लिये गाय और बकरी के गोबर का चूरा बनाकर भी डाला जाता है.
मिश्रित मछली पालन के जरिये एक ही तालाब से सालभर में दो बार मछलियों का उत्पादन ले सकते हैं. एक एकड़ जमीन पर बनाये तालाब में मछली पालन शुरु करने पर अगले 15 से 16 साल तक बढ़ती दर से आमदनी होती है. इससे हर साल 5 से 8 लाख तक की कमाई कर सकते हैं. खासकर देश-विदेश में मछलियों की बढ़ती डिमांड को देखते हुये मिश्रित मछली पालन करके अच्छा लाभ कमा सकते हैं.