
भारत में इस साल मानसून का रुख साफ नहीं रहा. कही तेज बारिश के कारण फसलें बर्बाद हो गईं तो कुछ इलाकों में कम बारिश के कारण फसलों की खेती में ही देरी देखी गई. कुछ इलाकों में पर्याप्त बारिश न होने के कारण किसान धान की रोपाई का काम भी समय से नहीं करपाये, जिसके कारण धान की नर्सरी लगभग खराब होने की कगार पर है. ऐसी स्थिति में फसल और किसानों को नुकसान से बचाने के लिये कृषि विशेषज्ञों ने कुछ सुझाव साझा किये हैं, जिससे कि कम बारिश वाले इलाकों में सही प्रबंधन के जरिये धान की सही पैदावार ले सकें.
इस तरह बचायें धान का बिचड़ा
जिन किसानों ने धान की रोपाई नहीं की है या खेत में धान की रोपनी के बाद बारिश की कमी के कारण सिंचाई नहीं हो पाई है. ऐसी स्थिति में कृतिम साधनों से हल्की सिंचाई का काम जारी रखें, जिससे धान के खेत मे दरारें न पड़े.
धान के जो बिचड़े 45 से 50 दिन या उससे अधिक उम्र के हैं, उनकी रोपाई सिर्फ 10 -10 से.मी.की दूरी पर 4 से 5 बिचड़ों का इस्तेमाल करके करें.
रोपाई के समय धान के पौधों की लंबाई सिर्फ 8 से 9 इंच रखें, अधिक लंबाई होने पर इन्हें शीर्ष से काटकर ही रोपाई करें.
किसान चाहें तो कम उम्र वाली धान की किस्मों की बिजाई करके भी कम समय में सही उपज ले सकते हैं.
सीधी बिजाई करें
किसान चाहें तो बारिश की कमी वाले इलाकों में धान की सीधी बिजाई भी कर सकते हैं. ऐसी स्थिति में खेतों में पानी भरने पर सीड ड्रिल मशीन से बीजों को सीधा खेतों में छोडें. बुवाई से पहले बीजों का उपचार करें और 24 घंटे तक पानी और सोल्यूशन में बीजों को भिगो दें. इससे बीजों का अंकुरण तेजी से होगा.
खेतों में करें पोषण प्रबंधन
धान के जिन खेतों में पोषण की कमी है या खाद-उर्वरक और नाइट्रोजन का अभाव है, वहां 20 ग्राम यूरिया को प्रति लीटर पानी घोलकर फसल पर छिड़काव करें.
फसल में जिंक की कमी के कारण खैरा रोग लग जाता है, जिसकी रोकथाम के लिये 5 किलोग्राम जिंक सल्फेट और 2.5 किलोग्राम बुझा हुआ चुना को 1300 से 1500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर की दर से फसल पर छिड़काव करें.फसल में लौह तत्व की कमी और इससे जुड़े लक्षण दिखने पर 10 ग्राम फेरस सल्फेट और 2 ग्राम साईट्रिक अम्ल प्रति लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करें.किसान चाहें तो जीवामृत का पतला घोल बनाकर भी फसलों की जड़ों में डाल सकते हैं, जिससे फसलों को पोषण मिलेगा और पोषण की कमी के कारण होने वाली समस्याओं से मुक्ति मिलेगी.