पूसा बासमती 1692 (Pusa Basmati 1692) किस्म के बीज धान की खेती के लिए बेहद लाभदायक है. किसान बहुत कम समय में इससे अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं .खरीफ सीजन में किसानों के लिए धान की रोपाई (Transplantation of paddy) का समय उपयुक्त होता है. ऐसे में किसान भाई अपने खेत में धान की अच्छी किस्म को लगाकर अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.
अगर हम भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) की बात मानें, तो बासमती चावल के लिए लिए पूसा बासमती 1692 (Pusa Basmati 1692) के बीज अच्छे होते हैं. इसके इस्तेमाल से किसानों को बासमती की प्रति एकड़ 27 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.
पूसा बासमती 1692 किस्म (Pusa Basmati 1692 Variety)
अगर आप किसान हैं, तो इस बीज के बारे में तो जानते ही होंगे. यह बीज कम समय वाली फसल होती है. इस बीज को खेत में लगाने से 115 दिन में फसल तैयार हो जाती है. यह भी देखा गया है कि इस किस्म के चावल लंबे समय तक सुरक्षित और टूटते भी नहीं है. इसमें लगभग 50 प्रतिशत तक खड़ा चावल (standing rice) किसान आसानी से प्राप्त कर सकते हैं. जिससे किसानों को अधिक लाभ प्राप्त होगा, क्योंकि बाजार में इस चावल की कीमत सबसे अधिक होती है.
किसानों की आय बढ़ाने का अच्छा साधन (Good way to increase the income of farmers)
पूसा बासमती किस्म (Pusa Basmati Variety) को जून 2020 में तैयार किया गया था. यह एकदम नई किस्म होने की वजह से इसकी सीमित उपलब्धता है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, इस किस्म के बीज को लगाने से किसानों की आय बढ़ेगी, क्योंकि बाजार में इस किस्म के बीज व चावल दोनों के दाम अधिक है. बता दें कि इस किस्म के बीज को पूसा कृषि मेले में ज्यादातर किसानों ने खरीदा था.
बासमती चावल का सबसे अधिक एक्सपोर्ट (Basmati rice export)
भारत में ही बासमती चावल (basmati rice) का सबसे अधिक उत्पादन होता है और इसका निर्यात भी भारत सबसे अधिक करता है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, सालाना 30 करोड़ रुपए से अधिक बासमती चावल का एक्सपोर्ट होता है. देखा जाए, तो दुनियाभर में बासमती के मुरीद करीब डेढ़ सौ देश हैं, इसलिए इस किस्म के बीजों की मांग दिन पर दिन बढ़ती जा रही है