खरीफ फसलों की सबसे प्रमुख फसल धान को माना जाता है जिसका सीजन आ चुका है ,और झारखंड, बिहार छत्तीसगढ़ ,उड़ीसा, उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक धान की खेती होती है .इसके लिए किसान 6 महीनों से इंतजार कर रहे होते हैं, हालांकि धान की खेती देशभर में होती है. खरीफ सीजन के फसल में से एक धान की खेती के प्रमुख माना जाता है .इस कारण से इससे ही खास ध्यान दिया जाता हैऔर किसानों को धान की अच्छी पैदावार मिल सकती है. आइए आप जानते हैं आपको किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
किसान भाइयों को सबसे पहले देखना चाहिए कि उनके पास से चाय के लिए क्या साधन है और किस तरीके से खेती करनी है. धान की खेती दो तरीके से होती है .पहला तो यह कि धान सीधे धान की बुवाई करते हैं, और दूसरा यह विधि रोपाई के जरिए होती है. जिन किसानों के पास सिंचाई का साधन नहीं है .वह रोपाई की विधि से खेती कर सकते हैं .इसके लिए भी लंबी अवधि वाले धान की नर्सरी लगा सकते हैं. किसानों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि वे जितनी जल्दी धान की रोपाई कर दे इतनी अच्छी फसल उन्हें मिलती है.
दोनों विधियों से बीज का चयन करना बहुत जरूरी होता है. अगर बीज को खरीदने से पहले उसकी परख करना और लैब में उसकी जांच करवाना भी बहुत जरूरी माना जाता है हालांकि ग्रामीण क्षेत्र के लोग ऐसा नहीं करते हैं इसलिए उनकी पैदावार पर काफी असर पड़ता है. शुरुआत में ही बीज का उपचार कर ले तो उन्हें फसल में होने वाले कई तरह के रोगों से निपटारा मिल सकता है. एक अनुमान के तहत प्रति हेक्टेयर धान की रोपाई में बीज शोधन पर तकरीबन 25 से ₹30 लग सकते हैं कई लोग बीज शोधन में हर 25 किलो बीच में 4 ग्राम स्पेक्ट्रोसाइकिलन और 75 ग्राम थीराम मिलाते हैं साथ ही किसानों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वे अपने क्षेत्र के हिसाब से ही धान की प्रजाति को चुने.
इस समय गर्मी के पहले धान के खेत में दो से तीन बार हल चलाना चाहिए साथ ही पानी को जमा होने के लिए खेत के किनारे अच्छी तरह से आर बांधना चाहिए इससे खेत में बारिश का पानी अधिक समय तक सीमित रहता है धान की बुवाई या रोपाई से 1 सप्ताह पहले ही चिंता करनी चाहिए अगर खेत में खरपतवार ज्यादा है तो बुवाई से ठीक पहले एक बार पानी भरकर उस पर हल चलाए अगर धान की सीधी बुवाई की जाती है तो हनुमानता 1 हेक्टेयर में 40 से 50 किलो बीज लगेगा जबकि धान की रोपाई के लिए यह करीबन 30 से 35 किलो होना चाहिए
रोग से बचने के लिए करें उपाय
नर्सरी में भी कीटों का खतरा होता है इससे बचाव के लिए प्रति हेक्टेयर पर 1.25 लीटर क्लोरो साइट पर या 250ml इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करें. अगर खैरा रोग से बचाना है तो 400 ग्राम जिंक सल्फेट को 1.6 किलो यूरिया या 2 किलो बुझे हुए चूने के साधारण 7 लीटर पानी में मिला ले बुवाई से ठीक 15 दिन बाद इसे 700 से 800 वर्ग मीटर की दर से इसका छिड़काव करें. सफेद रोग से बचने के लिए 1.5 किलो यूरिया में 300 से 350 ग्राम फेरस सल्फेट का घोल तैयार कर फिर काम करना चाहिए.
कई राज्य में धान की खेती में पानी की बचत कम करने के लिए क्यारियों को बढ़ावा दिया जा रहा है. उत्तर प्रदेश पंजाब हरियाणा इस प्रयोग में 30 दिनों की जगह 20 दिन की ही पनीरी लगाने से फसल तैयार होता है. और धान की फसल की पैदावार बहुत अच्छी होती है जिससे किसानों को अधिक से अधिक मुनाफा मिलता है.