बिहार, उत्तर प्रदेश सहित कुछ प्रदेशों में लगातार ठंड के बाद अब मौसम ने करवट बदली है. अब हल्की गर्मी (light heat) पड़ने लगी है. इसी मौसम में आम में मंजर आना शुरू कर देता है. यह आम की अलग-अलग प्रजातियां (different varieties of mango) और उस समय के तापमान (Temperature) पर निर्धारित होता है. इसलिए इस मौसम में किसान (Farmer) अपने बाग या पेड़ का खास ध्यान रखें, तभी अच्छी फसल होगी. सबसे पहले कई तरह के कीटों से बचाने की कोशिश करें. इसके साथ मधुमक्खी पालन करें.
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर, बिहार के अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना के प्रधान अन्वेषक और एसोसिएट डायरेक्टर रिसर्च डॉ. एसके सिंह टीवी9 के जरिए बता रहे हैं कि किसान कुछ टिप्स के साथ काम करें, तो अच्छी कमाई होगी.
खतरनाक कीट से बचाव कैसे करें?
डॉक्टर एस के सिंह बताते हैं कि जिन आम के बागों का प्रबंधन ठीक से नहीं होता है, वहां पर हापर या भुनगा कीट (moth) बहुत संख्या में हो जाते हैं. इसलिए यह जरूरी है कि सूरज की रोशनी बाग में जमीन तक पहुंचे जहां पर बाग घना होता है. वहां भी इन कीटों की संख्या ज्यादा होती है. पेड़ पर जब मंजर आते हैं, तो ये मंजर इन कीटों के लिए बहुत ही अच्छे खाद्य पदार्थ होते हैं, जिनकी वजह से इन कीटों की संख्या में भारी वृद्धि हो जाती है. इन कीटों की उपस्थिति की दूसरी पहचान यह है कि जब हम बाग के पास जाते हैं, तो झुंड के झुंड कीड़े भनभनाते हुए पास आते हैं. अगर इन कीटों को रोका नहीं जाए, तो ये मंजर से रस चूस लेते हैं और मंजर झड़ जाता है.
डॉक्टर एस के सिंह के मुताबिक, इस समय कीट नजर आने लगे या उसे ऐसे समझे, जब प्रति बौर 10-12 भुनगा दिखाई दे, तब हमें इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. @ 1 मीली दवा / 2 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए. यह छिड़काव फूल खिलने से पहले करना चाहिए, वरना बाग में आने वाले मधुमक्खी के कीड़े प्रभावित होते हैं, जिससे परागण कम होता है और उपज पर असर पड़ता है. पाउडरी मिल्डयू/ खर्रा रोग के प्रबंधन के लिए जरूरी है कि मंजर आने से पहले घुलनशील गंधक @ 2 ग्राम / लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करना चाहिए. जब पूरी तरह से फल लग जाए, तब इस रोग के प्रबंधन के लिए हेक्साकोनाजोल @ 1 मीली0/लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए.
जब तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो जाता है, तब इस रोग की उग्रता में कमी अपने आप आने लगती है. टिकोलो (आम के छोटे फल) को गिरने से रोकने के लिए जरूरी है कि प्लेनोफिक्स @ 1 मी.ली. दवा/ 3 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करनी चाहिए.
गुम्मा व्याधि से ग्रस्त बौर को काट कर हटा देना चाहिए. आम के फल जब मटर के दाने के बराबर हो जाएं, तो सिंचाई शुरू कर देनी चाहिए. उसके पहले बाग में सिंचाई नहीं करना चाहिए अन्यथा फूल झड़ सकते है. फल के मटर के दाने के बराबर हो जाने के बाद बाग की मिट्टी को हमेशा नम रहना जरूरी है, वरना फल के झड़ने की संभावना बनी रहती है.
मक्खियों को ऐसे रोकें
डॉक्टर सिंह के मुताबिक, जहां पर फल मक्खी की मुश्किलें गंभीर हों, वहां इसके नियंत्रण के लिए मिथाइल पूजीनाल फेरोमन ट्रैप @ 10 ट्रैप / हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करना चाहिए. आम के बाग के आस-पास अगर ईंट के गढ्ढे / बाग की मिट्टी बलुई हो तो आम के फल का निचला हिस्सा काला पड़ जाता है या फल फटने की समस्या पाई जाती है, तो इसके नियंत्रण के लिए आवश्यक है कि बोरेक्स @ 10 ग्राम / लीटर का छिड़काव अप्रैल महीने के आखिर में करना चाहिए.
बाग में अगर तना छेदक कीट या पत्ती काटने वाले धुन की समस्या हो तो क्विनालफोस 25 ई.सी. @ 2 मीली दवा / लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करना चाहिए.