झारखण्ड के देवधर के रहने वाले वकील प्रसाद को आज लोग स्थानीय तौर पर फूल वाले किसान के तौर पर जानते हैं. उनकी खेती ने उनके लिए नयी पहचान बनना ली है. उन्होंने न सिर्फ फूल की खती शुरू की बल्कि और भी किसानों को इससे जोड़ा. आज सभी किसान फूल की खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं.फूल की खेती के जरिए किसानों के लिए नयी मिसाल कायम कर रहे है। आज करते हैं लाखों में कमाईगेंदा फूल की खेती से किसान कर रहे अच्छी कमाई.
वकील प्रसाद फूल की खेत
हालांकि लॉकडाउन के दौरान उन्हें थोड़ी परेशानी हुई थ. उन्होंने बताया कि फूल की खेती में काफी मुनाफा होता है. साथ ही बताया कि मांग अच्छी होने के कारण फूल बेचने में कभी परेशानी नहीं होती है. फूल की खेती की खासियत यह होती है कि एक बार लगाने के बाद इससे कई बार तोड़कर कमाई की जा सकती है.
फूल की खेती किसानों
खेती किसानों को एक बार लगाकर सिर्फ सिंचाई करनी पड़ती है. इससे यह कमाई का एक बेहतर स्त्रोत बन जाता है. इसके साथ ही इसकी खेती में कम लागत और कम मेहनत लगता है और दाम अच्छा मिलता है. इसके कारण देवघर के फूल उत्पादक किसानों की आर्थिक स्थिति अन्य किसानों की तुलना में काफी बेहतर है. झारखंड में मुख्य रुप से तीन प्रकार के फूलो की मांग अधिक रहती है, इनमें गेंदा, जरबेरा (Gerbera) और ग्लैडियूल्स शामिल है. गेंदा फूल (Marigold Flower) की खेती देवघर के किसानों के लिए इसलिए फायदेमंद है क्योंकि यहां पर भगवान शिव का बैजनाथ धाम मंदिर के कारण मांग अच्छई रहती है.
कोलकाता से मंगाए जाते थे फूल
वकील प्रसाद पिछले पांच सालों से फूल की खेती से जुड़े हुए हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने बताया कि पहले यहां पर पूजा के लिए अधिकांश फूल कोलकाता से मंगाए जाते थे. इसके बाद यहां के किसानों ने सोचा कि देवघर में स्थानीय स्तर पर फूल उगाया जाए, तब जाकर किसानं ने योजना बनायी और फूल की खेती करने लगे. किसानों में इसके लिए विभाग के अधिकारियों का भी सहयोग मिला. खेती शुरू करने बाद किसानों ने अच्छा उत्पादन हासिल किया. अब वकील प्रसाद समेत अन्य किसान फूल बेचकर लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं.
फूल की खेती से मिली नई पहचान
फूल की खेती के जरिए वकील प्रसाद को एक नयी पहचान बनी है और वो किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं. यही कारण है कि उन्हें स्थानीय स्तर पर फूल वाले किसान कहा जाता है. फूल की खेती के अलावा उन्होंने बगावनी भी की है. उनके बगान में लगभग 500 आम के पेड़ हैं. आम बागवीन के लिए राष्ट्रीय बागावानी मिशन का सहयोग मिला है. बागवानी के क्षेत्र में भी उन्होंने बेहतर कार्य किया है. अब लोग इनके बगानों को देखने के लिए जाते हैं. उनके बगान को देखकर अन्य किसान भी बागवानी के लिए प्रेरित हो रहे हैं.